सर्व शक्तिशाली हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, तो रखें ये सावधानियां
श्री हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी स्वयं भगवान शिव का आश्वासन लिखते हैं कि- जो यह पढ़े हनुमान चालीसा । होई सिद्धि साखी गौरीसा ।। भक्त द्वारा अपने भगवान या इष्ट को प्रसन्न करने करने लिए तथा अपनी समस्याओं के निवारण के लिए सरल भाषा मैं की गयी प्रार्थना चालीसा कही जाती है । इसको चालीसा इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें चालीस लाइन होती हैं, सरल भाषा में लिखा होने के कारण इसको आसानी से पढ़ा जा सकता है इसलिए यह जन-मन में काफी लोकप्रिय है, इष्ट की चालीसा के लिए किसी ख़ास नियम की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है ।
चालीसा में अलग अलग लाइन का अलग अलग महत्व होता हैं और उनका विशेष समस्याओं में विशेष प्रयोग भी किया जाता है, तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री हनुमान चालीसा सर्वाधिक शक्तिशाली और सर्व मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली मानी जाती है ।
श्री हनुमान चालीसा की पाठ विधि-
श्री हनुमानजी और उनके इष्ट श्री रामजी के चित्र की स्थापना करें, इसके बाद जल से भरा कलश रखें एवं एक घी का दीपक जलाने के बाद कम से कम 7 बार से लेकर १०८ बार तक चालीसा का पाठ करें । श्री हनुमान चालीसा में लिखा गया हैं कि- जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहीं बंदी महा सुख होई ।। अर्थात संकट के समय कम से कम 7 बार तो पाठ करना ही चाहिए, पाठ समाप्ति के बाद कलश के जल को थोड़ा सा पूरे घर में छिड़क दें एवं बचे हुए जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करें । प्रयास करें कि श्री हनुमान चालीसा के पाठ का समय प्रतिदिन एक ही हो, विशेष दशाओं में यात्रा तथा सोते समय भी शुद्ध चित्त से चालीसा का पाठ कर सकते हैं ।
श्री हनुमानजी और उनके इष्ट श्री रामजी के चित्र की स्थापना करें, इसके बाद जल से भरा कलश रखें एवं एक घी का दीपक जलाने के बाद कम से कम 7 बार से लेकर १०८ बार तक चालीसा का पाठ करें । श्री हनुमान चालीसा में लिखा गया हैं कि- जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहीं बंदी महा सुख होई ।। अर्थात संकट के समय कम से कम 7 बार तो पाठ करना ही चाहिए, पाठ समाप्ति के बाद कलश के जल को थोड़ा सा पूरे घर में छिड़क दें एवं बचे हुए जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करें । प्रयास करें कि श्री हनुमान चालीसा के पाठ का समय प्रतिदिन एक ही हो, विशेष दशाओं में यात्रा तथा सोते समय भी शुद्ध चित्त से चालीसा का पाठ कर सकते हैं ।
चौपाई (मंत्र) जप के नियम-
चालीसा में से किसी भी एक पंक्ति का चुनाव अपनी आवश्यकता के अनुसार करें और नित्य प्रातः तुलसी की माला पर, मंत्र की तरह तीन से लेकर ग्यारह माला तक जाप करें । जितने समय तक यह प्रयोग किया जाय , खान पान और आचरण की शुद्धता पर ध्यान दिया जाय, बिना श्रीराम की पूजा के हनुमान जी की पूजा नहीं करना चाहिए ।
समस्या निवारण में हनुमान चालीसा पंक्ति का पाठ करें
विद्या बुद्धि और एकाग्रता बढ़ाने के लिए-
"बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवनकुमार । बल बुधि विद्या देहि मोहि, हरहु क्लेस विकार" ।
- स्वास्थ्य की बाधाओं से बचने के लिए-
"लाय संजीवन लखन जियाय, श्री रघुवीर हरसी उर लाय"
- जीवन में सही रास्ते पर चलने के लिए तथा कुसंगति से बचने के लिए-
"महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी"
- जब सारे रास्ते बंद हो जायें और समस्या काफी गंभीर हो जाय-
"दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते"
- भय तथा मानसिक अवसाद से बचने के लिए-
"भूत पिसाच निकट नहीं आवें, महावीर जब नाम सुनावें"
रिश्तों और संबंधों की मजबूती के लिए-
"रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरतहिं सम भाई"
दुर्घटनाओं, क्रोध और स्वास्थ्य की समस्याओं से बचने के लिए-
"नासै रोग हरे सब पीरा,जपत निरंतर हनुमत वीरा"
अगर इस तरह कोई श्री हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करता हैं, चाहे स्त्री हो पुरूष श्री हनुमान जी महाराज सबके संकटों का निवारण करते ही हैं
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/2s1KB7f