जिद्दी बच्चे को संस्कारित और समझदार बनाने का चमत्कारी मंत्र और 7 तरीके - jeevan-mantra

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Tuesday, May 22, 2018

जिद्दी बच्चे को संस्कारित और समझदार बनाने का चमत्कारी मंत्र और 7 तरीके



भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को संभालना बहुत मुश्किल काम हैं खासतौर पर नौकरी करने वाले माता-पिता के लिए। जिद्दी बच्चों को संभालना कई माता-पिताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है, बच्चों को नहलाने से लेकर, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाने से मुश्किल काम और कोई नहीं हो सकता, बच्चों की परवरिश में पैरेंट्स की गलतियां दिन पर दिन और भारी पड़ती चली जाती हैं और बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल ने लगता है ।

हर बात पर बार बार जिद्द करने वाले बच्चों को संभालने का सबसे कारगर तरीका है कि आप उनके बुरे बर्ताव पर किसी भी तरह की विपरीत प्रतिक्रिया ना दें एवं उनके अच्छे व्यवहार पर हमेशा तारीफ करते रहे, जानिए कैसे जिद्दी बच्चों को भविष्य के समाज का एक समझदार और संस्कारित बना सके-

गायत्री मंत्र बच्चे को याद कराएं
गायत्री मंत्र एक ऐसा चमत्कारी मंत्र है जिसे अगर बच्चे नियमित 11 बार जपते रहे तो इससे कितना ही जिद्दी बच्चा क्यों न हो जिद्दी पन धीरे-धीरे कुछ ही दिनों में खत्म होने के साथ उसके अंदर समझदारी आने लगेगी और वह अच्छे संस्कार, विचाक अपने आप वह ग्रहण करने लगेगा और देखते देखते कुछ ही दिनों गायत्री मंत्र के प्रभाव से आपका बच्चा परिवार, मुहल्ले पड़ोस का सबसे अच्छा बच्चा बन जाएगा ।

Jiddi Bachche
माता-पिता इन 7 तरीकों का इस्तेमाल करें
1-बच्चों की सुनें, बहस ना करें- अगर आप चाहते हैं कि आपका जिद्दी बच्चा आपको सुने तो इसके लिए आपको खुद उनकी बात ध्यान से सुननी होगी, मजबूत इच्छाशक्ति वाले बच्चों की राय भी बहुत मजबूत होती है और वे कई बार बहस करने लगते हैं, अगर आप उनकी बात नहीं सुनेंगे तो वे और ज्यादा जिद्दी हो जाएंगे ।
अगर बच्चों को यह महसूस होने लगा कि उनकी बातें नहीं सुनी नहीं जा रही हो, तो वे धीरे-धीरे आपकी हर बात को दरकिनार करना शुरू कर देंगे, अधिकतर समय जब आपका बच्चा कुछ करने या ना करने की जिद करे तो आप शांति और धैर्य से उनकी बात सुनें, उनकी बात खत्म होने से पहले उन्हें ना टोकें । अच्छे और बुरे की की पहचान कराते रहे ।

2-बच्चों के साथ जबर्दस्ती बिल्कुल ना करें-जब आप अपने बच्चों के साथ किसी भी चीज को लेकर जबर्दस्ती करते हैं तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं, बच्चों से जबरन कुछ करवाने से वे वही कुछ करने लगते हैं जिनसे उन्हें मना किया जाता है इसलिए आप अपने बच्चों से जुड़ने की कोशिश करें । जो बच्चे अपने पैरेंट्स से कनेक्टेड महसूस करते हैं वे समझदार हो जाते हैं, जिद्दी बच्चों के साथ ऐसा ही रिश्ता बनाएं, उन्हें गले लगाएं ।
3-उन्हें विकल्प दीजिए-बच्चों का अपना दिमाग होता है और वे हमेशा वो करना पसंद नहीं करते हैं जो उन्हें कहा जाता है, अगर आप अपने 4 साल के बच्चे को कहेंगी कि वह 9 बजे से पहले बिस्तर में चला जाए तो इसमें कोई शक नहीं है कि आपको इसका जवाब एक बड़ा सा ना मिलेगा, ऐसा आदेश देने के बजाए आप उससे पूछें कि वो सोते समय कौन सी स्टोरीज सुनना पसंद करेगी/करेगा । बच्चों को आदेश ना दें बल्कि उन्हें सुझाव और विकल्प दें । (विकल्प एक या दो ही दे) आपका बच्चा जल्द ही अपनी जिद छोड़ देगा ।




4- शांत रहें- अगर आप हर बात पर अपने बच्चे पर चिल्लाएंगे तो शायद आपका बच्चा आपके चीखने को जुबानी लड़ाई का निमंत्रण समझने लगेगा, इससे परिणाम स्वरूप आपका बच्चा अपनी तहजीब और भूलता चला जाएगा, आप हमेशा बातचीत को एक निष्कर्ष तक ले जाएं ना कि किसी लड़ाई में उसे तब्दील करें, बच्चों के साथ स्वयं भी बच्चा बनकर ही बर्ताव करें । फिर देखिए आपका बच्चा आपको समझेगा भी आपकी हर बात मानेगा भी ।

5-बच्चों का सम्मान करें अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका और आपके फैसलों का सम्मान करे तो आपको भी उनका सम्मान करना चाहिए, आपका बच्चा आपकी अथॉरिटी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा अगर आप उन पर कुछ भी थोपिए मत, उनसे सहयोग मांगे, आदेश ना दें । आपके बच्चे खुद से जो काम कर सकते हैं, करने दें, इससे उन्हें यह एहसास होगा कि आफ उन पर भरोसा करते हैं ।

6-उनके साथ काम करें जिद्दी बच्चे या अड़ियल रवैये वाले बच्चे बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं और वे इस बात को गहराई से महसूस करते हैं कि आप उनके साथ कैसा बर्ताव करते हैं, इसलिए अपनी टोन, बॉडी लैंग्वेज, अपने शब्दों को लेकर खास सावधानी बरतें, जब बच्चों को लगता है कि आपका व्यवहार अच्छा नहीं है तो वे विद्रोही हो जाते हैं, हर बात का जवाब देने लगते हैं औऱ गुस्सा दिखाने लगते हैं, छोटी छोटी बातें हैं लेकिन अहम है जैसे- 'तुम ये करो', 'तुमसे मैंने ये कहा था' के बजाए 'चलो ऐसा करते हैं', ऐसा करें क्या? कहें आदि ।

7- सौदेबाजी कई बार अपने बच्चों के साथ निगोशिएट करना भी जरूरी होता है. जब बच्चों को अपनी मर्जी की चीज नहीं मिलती है तो वे जिद करने लगते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप उनकी हर मांग को मान लें, इसका मतलब है सूझबूझ और व्यावहारिक हल, उदाहरण के तौर पर- अगर आपका बच्चा सही वक्त पर सोना नहीं चाह रहा है तो उसी वक्त पर सोने का दबाव डालने के बजाए थोड़ी सी ढील दे दें जिससे कि दोनों की मांगे पूरी होती नजर आए, और ऐसा हर बार करते रहिए कुछ ही समय में निश्चित ही आपका बच्चा अच्छी आदतों का आदि बन जाएगा ।




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