हिंदु धर्म में जीवन की उत्पत्ति का आधार ही ओम (ऊँ) की ध्वनि का माना गया है। ग्रंथों के अनुसार जब धरती पर कोई जीवन नहीं था, तब ब्रह्मांड में एक नाद उत्पन्न हुआ, जिससे जीवों की उत्पत्ति हुई। ये नाद था ओम का। ये भगवान शिव का रूप मंत्र है। शिव को प्रसन्न करने के लिए ओम का जाप ही पर्याप्त है, ऐसा ग्रंथों का मानना है।
ओम एक शब्द नहीं है ये एक नाद या मंत्र है जिसका उपयोग हमारे ऋषि-मुनि ध्यान व स्वास्थ्य लाभ के लिए करते थे। ओम अ, ऊ व म से मिलकर बना है और इसे सांस लेते व छोड़ते हुए इसी तरह से उच्चारित करना चाहिए। इसे कम से कम रोज 10 से 11 बार बोलना चाहिए। इससे पूरे शरीर में एक विशेष कंपन होता है, जो हमारे शरीर की नाड़ियों को खोलता है। इससे हमारी बॉडी पर काफी अच्छा असर पड़ता है।
ओम का जाप रेगुलर करने से मिलते हैं ये फायदे
1 - ऊं का उच्चारण करने से गले में कंपन्न होता है। जिससे थायरॉइड नियंत्रित होता है।
2 - ये स्ट्रेस व थकान को दूर करता है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर करता है।
3 - ऊं से डायजेशन सुधरता है व पेट से जुड़ी अन्य समस्याएं भी नहीं होती हैं।
4 - इसे बोलने से चेहरे की चमक बढ़ती है व याददाश्त भी मजबूत है।
5 - नींद न आने की समस्या व मानसिक रोगों जैसी समस्याओं से भी ये निजात दिलवाता है।
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