हमारे देश में वैसे तो औरतों को देवी का रुप माना जाता है। लेकिन फिर भी हमारे समाज में कई ऐसी रितियां बनी हैं जिनके चलते आज भी कई मंदिरों और कई धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर सदियों से पाबंदी लगी हुई है।
क्या आप जानते हैं भारत, जहां महिलाओं से धार्मिक होने, पूजा-पाठ में संलग्न रहने की अपेक्षा की जाती है, वहां एक ऐसा मंदिर भी है जहां इनके प्रवेश को ही वर्जित रखा गया है। जी हां, मध्यप्रदेश के श्योपुर में कुछ ही दूरी पर जाटखेड़ा गांव स्थित पार्वती माता का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी किशोरियों, महिलाओं या युवतियों को सीढ़ियां चढ़ने तक की भी अनुमति नहीं है।
मंदिर में केवल पुरुष भक्त ही प्रवेश कर माता की मूर्ति को स्पर्श कर सकते हैं। अगर कोई महिला मंदिर के दर्शन करना चाहती है तो वह मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकती, उसे मंदिर के मुख्य द्वार से ही देवी को अगरबत्ती या दीपक जलाकर माता पार्वती को प्रणाम कर वहीं से लौटना होता है। निसंदेह इस मंदिर की मान्यता थोड़ी अलग है। लेकिन आस्था के मामले में इस पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता।
माता को नहीं चढ़ाई जाती लाल चुनरी
जाटखेड़ा का पार्वती माता मंदिर करीब 300 साल पुराना है। यहां माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी नहीं चढ़ाई जाती। यहां श्रृंगार में सफेद या पीली चुनरी और इसी रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। केवल पुरुष भक्त ही मंदिर के अंदर तक जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं और मूर्ति के स्पर्श कर सकते हैं। महिलाएं दूर से ही माता के दर्शन कर आशिर्वाद लेकर चली जातीं है।
मंदिर की 18वीं सीढ़ी पर लिखी है यह चेतावनी
मंदिर में कुल 20 सीढ़ियां हैं। 17 सीढ़ियों तक तो महिलाओं को जाने की अनुमति है। जैसे ही 18 वीं सीढ़ी शुरू होती है वहीं लाल अक्षरों में यह चेतावनी लिखी हुई है कि यहां से आगे महिला व युवतियां नहीं जाएं। इन तीन सीढ़ियों के बाद करीब 20 बाई 20 फीट चौड़े चबूतरे पर पार्वती माता की सदियों पुरानी मूर्तियां हैं।
महिला व युवतियों को इस चबूतरे से करीब 11 फीट दूर रहने की हिदायत है। जाटखेड़ा सहित आस-पास के गांव की महिला व बालिकाएं इस बात को अच्छी तरह जानती हैं इसलिए वे 17 सीढ़ियां भी नहीं चढ़तीं। यहां के लोगों के अनुसार यदि महिलाएं मंदिर में प्रवेश करती हैं तो मां क्रोधित हो जाती हैं।
यह है मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
पुजारी के अनुसार जब मंदिर को स्थापित किया गया था तभी यह नियम बना दिया गया था कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित रहेगा। क्योंकि माहवारी के समय महिलाएं 5 दिन तक के लिए अशुद्ध हो जाती है। ऐसी स्थिति में उनके मंदिर में प्रवेश करने को वर्जित करार दिया गया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार बाताई गई बातों की मानें तो करीब 1 साल पहले एक स्त्री काली साड़ी पहनकर मंदिर में प्रवेश कर गई, उसके साथ एक युवक शराब पीकर मंदिर में प्रवेश कर गया। जैसे ही दोनों मंदिर में दाखिल हुए मधुमक्खियों के झुंड ने उनपर हमला कर दिया। मधुमक्खियों ने उन्हें इस कदर घायल कर दिया कि दोनों को कुछ दिन अस्पताल में ही बिताने पड़े।
एक बार फिर ऐसी घटना घटित हुई जब एक महिला मंदिर में प्रवेश करने लगी और उसके ऊपर पहुंचने से पहले ही मधुमक्खियों का झुंड आ गया। जब महिला डर के कारण नीचे आ गई, तब जाकर मधुमक्खियां शांत हुईं।
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