दीपावली 2020 : जानें किस दिन कितने दिए जलाएं - jeevan-mantra

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Friday, November 13, 2020

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दीपावली 2020 : जानें किस दिन कितने दिए जलाएं

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दीपावली हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इन दिनों दीये जलाए जाने के चलते इसे दीपोत्सव का त्योहार भी कहा जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी ध्यान दिया कि इन दिनों दीपकों की संख्या में लगातार बदलाव होता रहता है। जहां अधिकांश लोग दीपकों की संख्या के बदलाव के बारे में तो जानते हैं, लेकिन इसका कारण बहुत से लोगों को पता नहीं है।

इस संबंध में पंडितों व जानकारों का कहना है कि इस संबंध में हर राज्य में अलग-अलग मान्यताएं हैं कोई सम संख्‍या में तो कोई विषम संख्या में दीपक जलाता है, परंतु इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि किस जगह पर किसके निमित्त दीपक जलाया जा रहा है।

छोटी दिवाली पर कितने दिए जलाने चाहिए?
धन तेरस पर यमराज जो दीपदान किया जाता है या कहें कि उनके निमित्त घर के चारों ओर दीप जलाकर उनकी पूजा की जाती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। लेकिन यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है।

इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है जिसमें सरसों का तेल डाला जाता है। यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है। धनतेरस बाद आती है नरक चतुर्दशी। इस दिन को लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन कई लोग 14 दीपक जलाते हैं।

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छोटी दीवाली के दिन घर में मुख्‍यत: पांच दीये जलाने का प्रचलन है। इनमें से एक दीया घर के पूजा पाठ वाले स्थान, दूसरा रसोई घर में, तीसरा उस जगह जलाना चाहिए जहां हम पीने का पानी रखते हैं, चौथा दीया पीपल या वट के पेड़ तले रखना चाहिए। वहीं पांचवां दीया घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर जलाया जाए वह दीया चार मुंह वाला होना चाहिए और उसमें चार लंबी बत्तियों को जलाना चाहिए।

इसके अलावा आप और भी दीए जलाना चाहें तो 7, 13, 14 या 17 की संख्‍या में दीए जला सकते हैं। कई लोग छोटी दिवाली के दिन 14 दीपक जलाते हैं। निम्नलिखित जानकारी मान्यता और किवदंतियों पर आधारित है। परंपरा यह देख गया है कि हर राज्य में अलग अलग मान्यताएं हैं कोई समय संख्‍या में तो कोई विषम संख्या में दीपक जलाता है परंतु उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि किस जगह पर किसके निमित्त दीपक जलाया जा रहा है।

तीसरे दिन को 'दीपावली' कहते हैं। यही मुख्य पर्व होता है। दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। अत: इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं, ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए।

दीपावली की रात को कहां-कहां रखते हैं दीपक को जलाकर, जानिए
इस दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का पूजन करके 13 अथवा 26 दीपकों के मध्य 1 तेल का दीपक रखकर उसकी चारों बातियों को प्रज्वलित करना चाहिए एवं दीपमालिका का पूजन करके उन दीपों को घर में प्रत्येक स्थान पर रखें एवं 4 बातियों वाला दीपक रातभर जलता रहे, ऐसा प्रयास करें।

1. पहला दीया रात में सोते वक्त यम का दीया जो पूराना होता है और जिसमें सरसों का तेल डालकर उसे घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर कूड़े के ढेर के पास रखा जाता है।

2. दूसरा दीया किसी सुनसान देवालय में रखा जाता है जोकि घी का दिया होता है। इसे जलाने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

3. तीसरा दीया माता लक्ष्मी के समक्ष जलाते हैं।

4. चौधा दीया माता तुलसी के समक्ष जलाते हैं।

5. पांचवां दीया घर के दरवाजे के बाहर जलाते हैं।

6. छठा दीया पीपल के पेड़ के नीचे जलाते हैं।

7. सातवां दीया किसी मंदिर में जलाकर रख दें।

8. आठवां दीया घर में कूड़ा कचरा रखने वाले स्थान पर जलाते हैं।

9. नौवां दीया घर के बाथरूम में जलाते हैं।

10: दसवां दीया घर की छत की मुंडेर पर जलाते हैं।

11. ग्यारहवां दीया घर की छत पर जलते हैं।

11. बारहवां दीया घर की खिड़की के पास जलाते हैं।

13. तेरहवां दीया- घर की सीढ़ियों पर जलाते हैं या बरामदे में।

14. चौदहवां दीया रसोई में या जहां पानी रखा जाता है वहां जलाकर रखते हैं।

15. अगर आपने गाय आदि पाल रखी है तो पंद्रहवें दीपक को गौशाला में जलाकर रखें।

: इन सभी जगहों पर दीपक प्रज्वलित करने के पश्चात अपनी इच्छानुसार दीपक जलाकर अपने घर को रोशन करें।



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