
मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है और कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं साथ ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व यानि दशमी की दोपहर को जौ, गेहूं और मूंग आदि का एक बार भोजन करके भगवान का स्मरण करना चाहिए।
कामदा एकादशी के व्रत का महात्म्य भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर को बतलाया था। इस साल यह व्रत 4 अप्रैल, शनिवार को है। इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।

तिथि - 4 अप्रैल 2020, शनिवार
कामदा एकादशी का प्रारंभ - 4 अप्रैल को रात 12 बजकर 58 मिनट से
कामदा एकादशी का समापन - 4 अप्रैल को रात 10 बजकर 30 मिनट पर
कामदा एकादशी व्रत मुहूर्त...
कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त : 06:06:13 से 08:37:17 तक 5, अप्रैल को
अवधि : 2 घंटे 31 मिनट
एकादशी व्रत: ऐसे समझें
एकादशी हर महीने में २ बार आती हैं। जिस प्रकार हर व्रत का कोई न कोई अर्थ अवश्य होता है और उनका अपना ही विशेष महत्व है। एकादशी एक बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती हैं। हिन्दू-धर्म के अनुसार मन और तन दोनों ही मोक्षः से परे करने के लिए उपवास करने के नियम बनाए गए है। व्रत करने मानव का शरीर भी ठीक रहता हैं। मन और तन दोनों ठीक रहते है।
एकादशी व्रत का महत्त्व
एकादशी का व्रत भगवान् श्री विष्णु हरी के नाम का होता है। इस दिन भगवान् विष्णु का आव्हान किया जाता है उनके नाम से व्रत करने से पहले संकल्प लिया जाता हैं। उनका पूजन होता है फूल, फल, चंदन अक्षत, रोली, मौली सब उनकी पूजा में रखा जाता है। आज के दिन विष्णु जी के भजन और कीर्तन बहुत से लोग करवाते हैं। उनकी कथा करते है और सुनते है। इस उपवास को करने से मोह से बंधन नहीं रहता।
एकादशी का व्रत भगवान् श्री विष्णु हरी के नाम का होता है। इस दिन भगवान् विष्णु का आव्हान किया जाता है उनके नाम से व्रत करने से पहले संकल्प लिया जाता हैं। उनका पूजन होता है फूल, फल, चंदन अक्षत, रोली, मौली सब उनकी पूजा में रखा जाता है। आज के दिन विष्णु जी के भजन और कीर्तन बहुत से लोग करवाते हैं। उनकी कथा करते है और सुनते है। इस उपवास को करने से मोह से बंधन नहीं रहता।
माना जाता है कि इस व्रत को करने की शुरूवात श्री कृष्ण ने करवाई थी। जब पांडवों को मुक्ति और मोह से छुटकारा पपने की इच्छा हुई तब उन्होंने श्री कृष्ण से इस व्रत के बार में जाना और इस व्रत को किया। तभी से इस व्रत की शुरुवात हुई थी। इस व्रत को करने से शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

1. इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और भगवान की पूजा-अर्चना करें।
2. पूरे दिन समय-समय पर भगवान विष्णु का स्मरण करें और रात्रि में पूजा स्थल के समीप जागरण करना चाहिए।
3. एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को व्रत का पारण करना चाहिए।
4. एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन और दक्षिणा का महत्व है इसलिए पारण के दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं व दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें।
कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक लकड़ी के पाट को गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर उसके ऊपर पीला कपड़ा बिछाएं। भगवान विष्णु की प्रतिमा को पहले पंचामृत और उसके बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं।
Read This :- Start Gift Packing Business Earn 50 Thousandrupees
प्रतिमा को पाट पर विराजित करें। भगवान विष्णु की पूजन सामग्री से विधि-विधान से पूजाकर उनको सुगंधित फूल, तुलसी दल, ऋतुफल, निष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत, तिल आदि समर्पित करें। दीपक और धूपबत्ती जलाएं। पूजा के दौरान श्री लक्ष्मीनारायण के मंत्रों का जाप करते रहें।
इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना खास फलदायी माना जाता है। पूजन होने पर आरती उतारें। आखिर में पूजा में किसी प्रकार की भूल के लिए क्षमायाचना करें। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण या निर्धन व्यक्ति को दान दें साथ ही गाय को भी भोजन करवाएं।
ये नहीं खाएं
इस व्रत में चावल पूरी तरह से निषेध माना गया है। जो व्यक्ति इस दिन भूल कर भी चावल खा लेता है उसे भी पाप का भागी माना जाता है। इस व्रत में मसूर की दाल, लहसुन, प्याज़ , मांस मदिरा का भूल कर भी सेवन नहीं करना चाहिए।
2020 अप्रैल से पूरे साल की एकादशी के व्रत : 2020 kei poore saal ki Ekadashi kei vart
एकादशी व्रत : दिन : तारीख
पौष पुत्रदा एकादशी : शनिवार : 04 अप्रैल
वरुथिनी एकादशी : शनिवार : 18 अप्रैल
मोहिनी एकादशी : सोमवार : 04 मई
अपरा एकादशी : सोमवार : 18 मई
निर्जला एकादशी : मंगलवार : 02 जून
योगिनी एकादशी : बुधवार : 17 जून
देवशयनी एकादशी : बुधवार : 01 जुलाई
कामिका एकादशी : गुरुवार : 16 जुलाई
श्रावण पुत्रदा एकादशी : गुरुवार : 30 जुलाई
अजा एकादशी : शनिवार : 15 अगस्त
परिवर्तिनी एकादशी : शनिवार : 29 अगस्त
इन्दिरा एकादशी : रविवार : 13 सितंबर
पद्मिनी एकादशी : रविवार : 27 सितंबर
परम एकादशी : मंगलवार : 13 अक्टूबर
पापांकुशा एकादशी : मंगलवार : 27 अक्टूबर
रमा एकादशी : बुधवार : 11 नवंबर
देवुत्थान एकादशी : बुधवार : 25 नवंबर
उत्पन्ना एकादशी : शुक्रवार : 11 दिसंबर
मोक्षदा एकादशी : शुक्रवार : 25 दिसंबर
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/39zhomT