नवरात्र 2020 : चतुर्थ मां कूष्मांडा, देतीं हैं समस्त रोग-शोक दूर कर आयु-यश में वृद्धि का वरदान - jeevan-mantra

Online Puja Samagri

Saturday, March 28, 2020

demo-image

नवरात्र 2020 : चतुर्थ मां कूष्मांडा, देतीं हैं समस्त रोग-शोक दूर कर आयु-यश में वृद्धि का वरदान

puja+path+business
हमारे पास पूजापाठ से संबंधित हर प्रकार की सामाग्री उपलब्ध है. होलसेल पूजा सामाग्री मंगवाने के लिए दिए गए नंबर पर संपर्क करें. Mob. 7723884401
kundamata_5938035-m

इस साल 25 मार्च 2020 से शुरु हुए नवरात्र का आज 28मार्च 2020 (शनिवार) को चौथा दिन है और नवरात्र के चौथें दिन दुर्गा जी के चतुर्थ रूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव-जंतु नही था। तब मां ने सृष्टि की रचना की। इसी कारण इन्हें कुष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता है।

आदिशक्ति दुर्गा के कुष्मांडा रूप में चौथा स्वरूप भक्तों को संतति सुख प्रदान करने वाला है। आज के दिन पहले मां का ध्यान मंत्र पढ़कर उनका आहवान किया जाता है और फिर मंत्र पढ़कर उनकी आराधना की जाती है।

मान्यता के अनुसार ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।

MUST READ - नवरात्रा 2020 : जानिये कैसा होगा ये नववर्ष, देवी मां के वाहन इस साल के लिए दे रहे हैं ये संकेत

mata_sawari_1_5938035-m

मां का स्वरूप :
इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। मां की आठ भुजाएं हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी कूष्माण्डा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं।

इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

कूष्मांडा का मतलब है कि जिन्होंने अपनी मंद (फूलों) सी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया। माना जाता है कि मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। मां कूष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी आराधना करने से भक्तों को तेज, ज्ञान, प्रेम, उर्जा, वर्चस्व, आयु, यश, बल, आरोग्य और संतान का सुख प्राप्त होता है।

MUST READ : देवी मां का सपने में आना देता है ये खास संकेत, ऐसे समझें इन इशारों को

all_goddess_gives_some_positive_and_negative_signs_to_us_in_dreams_1_5938035-m

मां की पूजा विधि :

दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्माण्डा की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार शक्ति अन्य रुपों को पूजन किया गया है।

इस दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात माता के साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्माण्डा की पूजा करनी चाहिए।

पूजा की विधि शुरू करने से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए तथा पवित्र मन से देवी का ध्यान करते हुए “सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे.”नामक मंत्र का जाप करना चाहिए।

मां का भोग : मालपुए का भोग लगाएं।

मंत्र - सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||

MUST READ - नव संवत्सर 2077: जानिये क्या कहता है हिन्दू कैलेंडर, ये होगा ग्रहों का प्रभाव

navsamvatsar_3_5938035-m

आशीर्वाद: मां कूष्मांडा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है। साथ ही मां कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार मां की उपासना भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयष्कर मार्ग है। जैसा कि दुर्गा सप्तशती के कवच में लिखा गया है -
कुत्सित: कूष्मा कूष्मा-त्रिविधतापयुत: संसार: ।
स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्या: सा कूष्मांडा ।।

अर्थात: "वह देवी जिनके उदर में त्रिविध तापयुक्त संसार स्थित है वह कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं। जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी। उस समय अंधकार का साम्राज्य था।"

MUST READ : विश्व की सबसे ताकतवर जगह, कारण आज तक नहीं जान पाए बड़े से बड़े वैज्ञानिक-देखें वीडियो

navratri_2_5938035-m

नवरात्रि 2020 : ऐसे समझें नौ दिन की तिथि

25 मार्च : बुधवार: प्रतिपदा प्रथमा तिथि, नवरात्रि आरंभ, घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा, हिंदू नववर्ष की शुरुआत

26 मार्च : गुरुवार : द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

27 मार्च : शुक्रवार : तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा की पूजा

28 मार्च : शनिवार : चतुर्थी तिथि, मां कुष्मांडा की पूजा

29 मार्च : रविवार : पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा

30 मार्च : सोमवार : षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा

31 मार्च : मंगलवार : सप्तमी तिथि, मां कालरात्रि की पूजा

1 अप्रैल : बुधवार : अष्टमी तिथि, मां महागौरी की पूजा

2 अप्रैल : बृहस्पतिवार : नवमी तिथि, मां सिद्धिदात्रि की पूजा / रामनवमी



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/39psCui

Pages