हिंदू धर्म में अगहन यानी की मार्गशीर्ष माह को बहुत महत्व दिया जाता हैं, इस माह की अमावस्या साल की अन्य अमावस्या से कुछ खास महत्व रखती हैं । मार्गशीर्ष महीने के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं जिस कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है । भगवान श्री कृष्ण ने इसी अगहन माह में गीता का दिव्य ज्ञान रूपी संदेश दिया था, इस कारण भी इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी मानी जाती है । साल 2018 की आखरी अमावस्या 7 दिसंबर 2018 दिन शुक्रवार को है । जाने पूजा विधि और महत्व ।
व्रत का महत्व
जिस प्रकार पितृपक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष माह की अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त व्रत रखने और जल से तर्पण करके सारे पितरों को प्रसन्न किया जा सकता हैं । इस दिन व्रत करने से कुंडली के पितृ दोष समाप्त हो जाते है, निसंतानों को संतान प्राप्ति के योग बन जाते हैं, अगर किसी के भाग्य स्थान में राहू नीच का होकर परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर हो जाती है । अगहन माह की अमावस्या के व्रत से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रूद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षियों सहित सब भूत-प्राणियों की तृप्ति भी हो जाती है ।
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि – 7 दिसंबर 2018
मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का आरंभ- 6 दिसंबर को 12 बजकर 12 मिनट से होगा ।
मार्गशीर्ष अमावस्या समाप्त का समापन- 7 दिसंबर को 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी ।
ऐसे करें पूजा विधि
कहा जाता हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय यमुना नदी में स्नान करने से महा पुण्यफल की प्राप्ति होने के साथ जीवन से दुख भी दूर हो जाते हैं । अगर कोई इस अमावस्या के दिन व्रत उपवास रखने के साथ भगवान श्री सत्यनारायाण भगवान की कथा का पाठ भी करना चाहिये । जो भी इस दिन विधि विधान से यह पूजा करते हुए व्रत रखता हैं, दान-दक्षिणा देता हैं उसके सारे पाप कर्म भी नष्ट हो जाते हैं, और वह भगवान की कृपा का अधिकारी बन जाता हैं ।
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