पैर की हड्डी टूट जाने के बाद भी धुव्र पर इस तरह गए रिचर्ड बर्ड - jeevan-mantra

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Monday, May 7, 2018

पैर की हड्डी टूट जाने के बाद भी धुव्र पर इस तरह गए रिचर्ड बर्ड


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एडमिरल रिचर्ड बर्ड आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय वाले व्यक्ति थे। वे जो भी काम हाथ में लेते थे उसे पूरा करके ही दम लेते थे। उनमें बचपन से ही कुछ बड़ा काम करने का जुनून था। 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपनी डायरी में लिख दिया था कि मैंने फैसला कर लिया है, मैं उत्तरी ध्रुव पर जाने वाला पहला आदमी बनूंगा। उन्हें बचपन में ही उत्तरी ध्रुव पर पहुंचने के लिए किए जाने वाले संघर्षो के बारे में जानकारी थी। यह रोमांचक अभियान उन्हें इतना जंच गया कि उन्होंने आने वाली चुनौतियों का सामना करने की तैयारियां उसी समय से शुरू कर दी।


रिचर्ड बर्ड को ठंड के मौसम में बहुत परेशानी होती थी। चूंकि उत्तरी ध्रुव में मौसम ठंडा होता है इसलिए उन्होंने उत्तरी ध्रुव पर ठंड का सामना करने के लिए अपने शरीर को कठोर बनाया। सर्दियों में भी उन्होंने कम कपड़े पहनने शुरू किए ताकि उनका शरीर पर्याप्त ठंड सहन कर पाए। इसके साथ ही उन्होंने कई मुश्किलों का सामना करने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया। लेकिन उनके जीवन का असली इम्तहान अभी बाकी था। वह उत्तरी ध्रुव के अभियान की तैयारी के साथ-साथ अमेरिकी कॉलेज में नौकरी भी कर रहे थे। 

एक दिन अचानक एक हादसा हुआ और उसमें उनके पैर की हड्डी टूट गई। इसके साथ ही मात्र 28 वर्ष की उम्र में शारीरिक अक्षमता के कारण उन्हें रिटायर कर दिया गया। हममें से बहुत से लोग ऐसी परिस्थियों में हार मान लेते है, परंतु रिचर्ड बर्ड ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने दूसरा रास्ता ढूंढ निकाला। उन्होंने सोचा कि अगर मैं उत्तरी ध्रुव पर पैदल नहीं जा सकता तो हवाई जहाज से तो जा सकता हूं। उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी। अंततः रिचर्ड बर्ड उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर हवाई उड़ान भरने वाले पहले व्यक्ति बने। 


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